साहित्य, सिनेमा, कला, संगीत, जीवन, फ़िलॉसफ़ी, प्रेम-कथाएँ आदि विषय ऐसे हैं, जिन पर गीत चतुर्वेदी ने वर्षों तक अध्ययन और लेखन किया। 2018 में ‘रज़ा पुस्तक माला’ के तहत प्रकाशित ‘टेबल लैम्प’ गीत की सबसे वृहद किताब है। इसमें 368 पेज हैं।
इसमें विश्व-साहित्य पर केंद्रित विश्लेषणात्मक-आलोचनात्मक निबंध हैं, तो संस्कृत और हिन्दी साहित्य की विशिष्ट प्रवृत्तियों की पड़ताल भी है। गीत ने अपने प्रिय लेखकों मार्सल प्रूस्त, यासुनारी कवाबाता, चेस्वाव मीवोश, एडम ज़गाएव्स्की, रोबेर्तो बोलान्यो, मुक्तिबोध, कुँवर नारायण और विष्णु खरे पर चिंतनपरक निबंध लिखे हैं। साथ ही अपने प्रिय फ़िल्मकारों क्रिश्तोफ़ कीश्लोव्स्की, आकी काउरिसमाकी और ख़ोसे लुईस गेरीन के सिनेमा पर भी लेख शामिल किए हैं।
इस किताब के लगभग एक-तिहाई हिस्से में गीत की चर्चित डायरी है, जिसमें कविता, संगीत, सिनेमा और चित्रकला पर उनके नोट्स हैं। साथ ही, उनकी रचना प्रक्रिया पर विशेष रूप से प्रकाश डाला गया है।
प्रसिद्ध कवि-आलोचक अशोक वाजपेयी ने इस किताब के बारे में लिखा है, “साहित्य को जीने की शक्ति देनेवाला माननेवाले गीत चतुर्वेदी का गद्य कई विधाओं को समेटता है। उसमें साहित्य, संगीत, कविता, कथा आदि पर विचार रखते हुए एक तरह का बौद्धिक वैभव और संवेदनात्मक लालित्य बहुत घने गुँथे हुए प्रकट होते हैं। उनमें पढ़ने, सोचने, सुनने, गुनने आदि सभी का सहज, पर विकल विन्यास भी बहुत संश्लिष्ट होता है। एक लेखक के रूप में गीत की रुचि और आस्वादन का वितान काफ़ी फैला हुआ है, लेकिन उनमें इस बात का जतन बराबर है कि यह विविधता बिखर न जाए। उसे संयमित करने और फिर भी उसकी स्वाभाविक ऊर्जा को सजल रखने का हुनर उन्हें आता है।”