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मुराकामी होने का अर्थ
हारुकि मुराकामी की कीर्ति इतनी है कि बड़े से बड़ा रॉकस्टार भी उनसे ईर्ष्या करे। उनकी किताबों की दुनिया कई बार जितनी जानी-पहचानी लगती है,

आद्रियाना लिस्बोआ की कविता : आत्मा को ऐसे धोएं
आत्मा को अपने हाथों से धोना चाहिए.इसलिए नहीं कि वह बहुत नाजुक होती हैऔर रंग छोड़ती है.इसके उलट, वह बेहद मजबूत कपड़े से बनी होती

The Funeral : a short story in Two Lines
My short fiction “Bade Papa ki Antyeshti” has been published in Anita Gopalan’s fine English translation as “The Funeral” in Two Lines, a prestigious American journal. The

इल्या कामिन्स्की की कविता
और जब वे दूसरों के घरों पर बम बरसा रहे थे,हमने विरोध तो किया, लेकिन पर्याप्त नहीं.हमने उनका विरोध किया, लेकिन पर्याप्त नहीं.मैं अपने बिस्तर

नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा में ‘सावंत आंटी की लड़कियाँ’ का मंचन
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (एनएसडी) ने मेरी कथा-पुस्तक ‘सावंत आंटी की लड़कियाँ’ को एक नाटक में रूपांतरित किया है। आसिफ़ अली द्वारा निर्देशित और एनएसडी

The Amphibian in the Columbia Journal
A beautiful and thoughtful translation by Anita Gopalan of a section from my long poem ‘The Amphibian’ is in the Columbia Journal, housed at Columbia University.

अमोस ओज़ : बड़ा होकर एक किताब बनूँगा
हमारे पास सिर्फ़ एक ही चीज़ इफ़रात में थी, और वह थी- किताबें। हर जगह किताबें। दीवारों पर। दरीचों पर। गलियारे में। रसोई में। घर

ख़ाइमे साबिनेस (Jaime Sabines) की कविताएँ
ख़ाइमे साबिनेस (Jaime Sabines,1926-1999) मेक्सिको के कवि थे। नोबेल पुरस्कार विजेता कवि ओक्तावियो पास (Octavio Paz) उन्हें ‘स्पैनिश भाषा के सर्वश्रेष्ठ समकालीन कवियों में से

एडम ज़गाएव्स्की : युवा कवियो, सब कुछ पढ़ियो
यह कहते मुझे कम से कम, एक ख़तरा तो महसूस हो ही रहा है। पढ़ने के तरीक़ों पर बात करते समय, या एक अच्छे पाठक
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आत्मा को अपने हाथों से धोना चाहिए.इसलिए नहीं कि वह बहुत नाजुक होती हैऔर रंग छोड़ती है.इसके उलट, वह बेहद मजबूत कपड़े से बनी होती

The Funeral : a short story in Two Lines
My short fiction “Bade Papa ki Antyeshti” has been published in Anita Gopalan’s fine English translation as “The Funeral” in Two Lines, a prestigious American journal. The

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नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा (एनएसडी) ने मेरी कथा-पुस्तक ‘सावंत आंटी की लड़कियाँ’ को एक नाटक में रूपांतरित किया है। आसिफ़ अली द्वारा निर्देशित और एनएसडी

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अमोस ओज़ : बड़ा होकर एक किताब बनूँगा
हमारे पास सिर्फ़ एक ही चीज़ इफ़रात में थी, और वह थी- किताबें। हर जगह किताबें। दीवारों पर। दरीचों पर। गलियारे में। रसोई में। घर